श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 22: मन-बुद्धि और इन्द्रियरूप सप्त होताओंका, यज्ञ तथा मन-इन्द्रिय-संवादका वर्णन  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  14.22.6 
जिह्वा चक्षुुस्तथा श्रोत्रं वाङ्मनो बुद्धिरेव च।
न गन्धानधिगच्छन्ति घ्राणस्तानधिगच्छति॥ ६॥
 
 
अनुवाद
जीभ, आँख, कान, त्वचा, मन और बुद्धि गंध को नहीं समझ सकते, परन्तु नाक उनका अनुभव कर सकती है ॥6॥
 
The tongue, eyes, ears, skin, mind and intellect cannot understand smells, but the nose can experience them. ॥ 6॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.