ब्राह्मण्युवाच
सूक्ष्मेऽवकाशे सन्तस्ते कथं नान्योन्यदर्शिन:।
कथंस्वभावा भगवन्नेतदाचक्ष्व मे प्रभो॥ ४॥
अनुवाद
ब्राह्मणी ने पूछा - हे प्रभु! जब हम सब सूक्ष्म शरीर में रहते हैं, तो एक-दूसरे को देख क्यों नहीं पाते? हे प्रभु! उनका स्वरूप क्या है? कृपा करके मुझे यह बताइए॥4॥
The Brahmin lady asked - O Lord! When all of us live in subtle bodies, then why are we unable to see each other? O Lord! What is their nature? Kindly tell me this.॥ 4॥