श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 22: मन-बुद्धि और इन्द्रियरूप सप्त होताओंका, यज्ञ तथा मन-इन्द्रिय-संवादका वर्णन  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  14.22.26 
वैमनस्यं गतानां च जन्तूनामल्पचेतसाम्।
अस्मदर्थे कृते कार्ये दृश्यते प्राणधारणम्॥ २६॥
 
 
अनुवाद
हम देख सकते हैं कि जो मंदबुद्धि प्राणी मन से रहित हैं, उनमें भी जब हमारे लिए काम किया जाता है, तब वे जीवित रहते हैं ॥26॥
 
Even in those dull-witted beings who are devoid of mind, we can see that they retain their life when work is done for us. ॥26॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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