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श्लोक 14.22.18  |
इन्द्रियाण्यूचु:
एवमेतद् भवेत् सत्यं यथैतन्मन्यते भवान्।
ऋतेऽस्मानस्मदर्थांस्त्वं भोगान् भुङ्क्ते भवान् यदि॥ १८॥ |
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अनुवाद |
यह सुनकर इन्द्रियाँ बोलीं - महाराज ! यदि आप भी हमारी सहायता के बिना इन्द्रिय-विषयों का अनुभव कर सकते, तो हम आपकी बात को सत्य मान लेते ॥18॥ |
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Hearing this the senses said - Sir! If you too could experience the sense-objects without our help then we would have accepted your statement as true.॥ 18॥ |
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