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पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व
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अध्याय 22: मन-बुद्धि और इन्द्रियरूप सप्त होताओंका, यज्ञ तथा मन-इन्द्रिय-संवादका वर्णन
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श्लोक 13
श्लोक
14.22.13
अत्राप्युदाहरन्तीममितिहासं पुरातनम्।
इन्द्रियाणां च संवादं मनसश्चैव भामिनि॥ १३॥
अनुवाद
भामिनी! इस विषय में इन्द्रिय और मन के संवाद के रूप में प्राचीन इतिहास का एक उदाहरण दिया गया है ॥13॥
Bhamini! In this matter, an example from ancient history is given in the form of dialogue between senses and mind. 13॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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