श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 22: मन-बुद्धि और इन्द्रियरूप सप्त होताओंका, यज्ञ तथा मन-इन्द्रिय-संवादका वर्णन  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  14.22.10 
घ्राणं जिह्वा च चक्षुश्च वाङ्मनो बुद्धिरेव च।
न शब्दानधिगच्छन्ति श्रोत्रं तानधिगच्छति॥ १०॥
 
 
अनुवाद
नासिका, जिह्वा, नेत्र, त्वचा, मन और बुद्धि - इनको शब्दों का ज्ञान नहीं है; परन्तु कौन जानता है? 10॥
 
Nose, tongue, eyes, skin, mind and intellect – they do not have knowledge of words; But who knows? 10॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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