श्री महाभारत » पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व » अध्याय 21: दस होताओंसे सम्पन्न होनेवाले यज्ञका वर्णन तथा मन और वाणीकी श्रेष्ठताका प्रतिपादन » श्लोक 3 |
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| | श्लोक 14.21.3  | शब्दस्पर्शौ रूपरसौ गन्धो वाक्यं क्रिया गति:।
रेतोमूत्रपुरीषाणां त्यागो दश हवींषि च॥ ३॥ | | | अनुवाद | शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध, वाणी, कर्म, गति, वीर्य, मूत्र और शौच - ये दस विषय दस हविष्य हैं ॥3॥ | | Sound, touch, form, taste, smell, speech, action, movement, semen, urination and defecation - these ten subjects are the ten futures. 3॥ |
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