श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 21: दस होताओंसे सम्पन्न होनेवाले यज्ञका वर्णन तथा मन और वाणीकी श्रेष्ठताका प्रतिपादन  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  14.21.10 
ब्राह्मण्युवाच
कस्माद् वागभवत् पूर्वं कस्मात् पश्चान्मनोऽभवत्।
मनसा चिन्तितं वाक्यं यदा समभिपद्यते॥ १०॥
 
 
अनुवाद
ब्राह्मणी बोली, "प्रियतम! शब्द पहले क्यों अस्तित्व में आया और मन बाद में? जबकि मन में विचार और विचार किए गए शब्द ही व्यवहार में आते हैं।"
 
The Brahmin lady said, "Dearest! Why did the word come into existence first and the mind later? Whereas words which are thought and deliberated upon in the mind are put into practice."
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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