श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 17: काश्यपके प्रश्नोंके उत्तरमें सिद्ध महात्माद्वारा जीवकी विविध गतियोंका वर्णन  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  14.17.8 
सत्त्वं बलं च कालं च विदित्वा चात्मनस्तथा।
अतिवेलमुपाश्नाति स्वविरुद्धान्यनात्मवान्॥ ८॥
 
 
अनुवाद
अपने धैर्य, बल और अनुकूल समय को जानते हुए भी, मन पर नियंत्रण न होने के कारण वह अनुचित समय पर और स्वभाव के विरुद्ध भोजन करता है ॥8॥
 
Even after knowing about his patience, strength and the favourable time, due to lack of control over his mind, he eats food at the inappropriate time and against his nature. ॥ 8॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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