श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 17: काश्यपके प्रश्नोंके उत्तरमें सिद्ध महात्माद्वारा जीवकी विविध गतियोंका वर्णन  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  14.17.5 
ब्राह्मण उवाच
एवं संचोदित: सिद्ध: प्रश्नांस्तान् प्रत्यभाषत।
आनुपूर्व्येण वार्ष्णेय तन्मे निगदत: शृणु॥ ५॥
 
 
अनुवाद
ब्राह्मण कहते हैं - वृष्णिनन्दन श्रीकृष्ण! कश्यपजी के इस प्रकार पूछने पर सिद्ध महात्मा उनके प्रश्नों का उत्तर एक-एक करके देने लगे। वह मैं तुमसे कह रहा हूँ, कृपया सुनो॥5॥
 
The Brahmin says - Vrishninandan Sri Krishna! When Kashyap asked in this manner, the Siddha Mahatma started answering his questions one by one. I am telling you that, please listen. ॥ 5॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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