श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 17: काश्यपके प्रश्नोंके उत्तरमें सिद्ध महात्माद्वारा जीवकी विविध गतियोंका वर्णन  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  14.17.37 
ऊर्ध्वं तु जन्तवो गत्वा येषु स्थानेष्ववस्थिता:।
कीर्त्यमानानि तानीह तत्त्वत: संनिबोध मे॥ ३७॥
 
 
अनुवाद
स्वर्ग आदि उच्च लोकों में जाकर जीव जहाँ निवास करते हैं, उनका वर्णन यहाँ किया गया है। इस विषय को विस्तारपूर्वक मुझसे सुनो ॥37॥
 
The places where living beings reside after going to the higher worlds like heaven etc. are described here. Listen to this matter in detail from me. ॥ 37॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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