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श्लोक 14.17.35  |
तत: शुभाशुभं कृत्वा लभन्ते सर्वदेहिन:।
इहैवोच्चावचान् भोगान् प्राप्नुवन्ति स्वकर्मभि:॥ ३५॥ |
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अनुवाद |
अतः यहाँ अच्छे-बुरे कर्म करके सभी मनुष्य अपने-अपने कर्मों के अनुसार अच्छे-बुरे फल प्राप्त करते हैं ॥35॥ |
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Therefore, by performing good and bad deeds here, all human beings receive good and bad results in accordance with their deeds. ॥ 35॥ |
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