श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 17: काश्यपके प्रश्नोंके उत्तरमें सिद्ध महात्माद्वारा जीवकी विविध गतियोंका वर्णन  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  14.17.35 
तत: शुभाशुभं कृत्वा लभन्ते सर्वदेहिन:।
इहैवोच्चावचान् भोगान् प्राप्नुवन्ति स्वकर्मभि:॥ ३५॥
 
 
अनुवाद
अतः यहाँ अच्छे-बुरे कर्म करके सभी मनुष्य अपने-अपने कर्मों के अनुसार अच्छे-बुरे फल प्राप्त करते हैं ॥35॥
 
Therefore, by performing good and bad deeds here, all human beings receive good and bad results in accordance with their deeds. ॥ 35॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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