श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 17: काश्यपके प्रश्नोंके उत्तरमें सिद्ध महात्माद्वारा जीवकी विविध गतियोंका वर्णन  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  14.17.31 
ब्राह्मणा ज्ञानसम्पन्ना यथावच्छ्रुतनिश्चया:।
इतरं कृतपुण्यं वा तं विजानन्ति लक्षणै:॥ ३१॥
 
 
अनुवाद
वे ज्ञानी ब्राह्मण, जिन्होंने वेदों और शास्त्रों के सिद्धांतों का भली-भाँति अध्ययन किया है, लक्षणों से जानते हैं कि अमुक आत्मा पुण्यात्मा थी और अमुक पापात्मा थी ॥31॥
 
Those knowledgeable Brahmins, who have studied the principles of the Vedas and scriptures properly, know through the characteristics that a certain soul was virtuous and another was sinful. ॥ 31॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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