श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 17: काश्यपके प्रश्नोंके उत्तरमें सिद्ध महात्माद्वारा जीवकी विविध गतियोंका वर्णन  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  14.17.29 
तत: स तं महोच्छ्वासं भृशमुच्छ्वस्य दारुणम्।
निष्क्रामन् कम्पयत्याशु तच्छरीरमचेतनम्॥ २९॥
 
 
अनुवाद
तब आत्मा बार-बार लम्बी और भयंकर साँसें छोड़ती हुई बाहर निकलने लगती है। उस समय वह अचानक इस जड़ शरीर को कँपा देती है। 29।
 
Then the soul starts coming out by repeatedly exhaling long and fearful breaths. At that time it suddenly makes this inert body tremble. 29.
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.