श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 17: काश्यपके प्रश्नोंके उत्तरमें सिद्ध महात्माद्वारा जीवकी विविध गतियोंका वर्णन  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  14.17.1 
वासुदेव उवाच
ततस्तस्योपसंगृह्य पादौ प्रश्नान् सुदुर्वचान्।
पप्रच्छ तांश्च धर्मान् स प्राह धर्मभृतां वर:॥ १॥
 
 
अनुवाद
भगवान श्रीकृष्ण बोले - तत्पश्चात धर्मात्माओं में श्रेष्ठ कश्यप ने उन सिद्ध महात्मा के दोनों चरण पकड़कर अनेक ऐसे धार्मिक प्रश्न पूछे जिनका उत्तर कठिनाई से दिया जा सकता था।1॥
 
Lord Shri Krishna said - After that, Kashyap, the best among the religious souls, holding both the feet of that accomplished Mahatma, asked many such religious questions which could be answered with difficulty. 1॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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