श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 16: अर्जुनका श्रीकृष्णसे गीताका विषय पूछना और श्रीकृष्णका अर्जुनसे सिद्ध, महर्षि एवं काश्यपका संवाद सुनाना  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  14.16.6 
यत् तद् भगवता प्रोक्तं पुरा केशव सौहृदात्।
तत् सर्वं पुरुषव्याघ्र नष्टं मे भ्रष्टचेतस:॥ ६॥
 
 
अनुवाद
परन्तु केशव! आपने जो ज्ञान मुझे सौहार्दपूर्वक दिया था, वह सब इस समय मेरे विचलित मन के कारण लुप्त (विस्मृत) हो गया है।
 
But Keshav! All the knowledge that you had imparted to me out of cordiality has been lost (forgotten) at present due to my distracted mind.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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