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श्लोक 14.16.6  |
यत् तद् भगवता प्रोक्तं पुरा केशव सौहृदात्।
तत् सर्वं पुरुषव्याघ्र नष्टं मे भ्रष्टचेतस:॥ ६॥ |
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अनुवाद |
परन्तु केशव! आपने जो ज्ञान मुझे सौहार्दपूर्वक दिया था, वह सब इस समय मेरे विचलित मन के कारण लुप्त (विस्मृत) हो गया है। |
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But Keshav! All the knowledge that you had imparted to me out of cordiality has been lost (forgotten) at present due to my distracted mind. |
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