श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 16: अर्जुनका श्रीकृष्णसे गीताका विषय पूछना और श्रीकृष्णका अर्जुनसे सिद्ध, महर्षि एवं काश्यपका संवाद सुनाना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  14.16.5 
विदितं मे महाबाहो संग्रामे समुपस्थिते।
माहात्म्यं देवकीमातस्तच्च ते रूपमैश्वरम्॥ ५॥
 
 
अनुवाद
महाबाहो! देवकीपुत्र! जब युद्ध का समय आया, तब मुझे आपके माहात्म्य का ज्ञान हुआ और आपके दिव्य रूप का दर्शन हुआ॥5॥
 
Mahabaho! Son of Devaki! When the time of war had come, I had the knowledge of your greatness and the vision of your divine form.॥ 5॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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