श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 16: अर्जुनका श्रीकृष्णसे गीताका विषय पूछना और श्रीकृष्णका अर्जुनसे सिद्ध, महर्षि एवं काश्यपका संवाद सुनाना  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  14.16.40 
नाहं पुनरिहागन्ता लोकानालोकयाम्यहम्।
आसिद्धेराप्रजासर्गादात्मनोऽपि गता: शुभा:॥ ४०॥
 
 
अनुवाद
अब मैं इस संसार में पुनः नहीं आऊँगा। जब तक यह सृष्टि रहेगी और जब तक मुझे मोक्ष प्राप्त होगा, तब तक मैं अपने तथा अन्य प्राणियों के मंगल का निरीक्षण करता रहूँगा ॥40॥
 
Now I will not come to this world again. As long as this creation exists and until I attain salvation, I will observe the good fortunes of myself and other creatures. ॥ 40॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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