श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 16: अर्जुनका श्रीकृष्णसे गीताका विषय पूछना और श्रीकृष्णका अर्जुनसे सिद्ध, महर्षि एवं काश्यपका संवाद सुनाना  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  14.16.32 
पुन: पुनश्च मरणं जन्म चैव पुन: पुन:।
आहारा विविधा भुक्ता: पीता नानाविधा: स्तना:॥ ३२॥
 
 
अनुवाद
मैंने बार-बार जन्म और बार-बार मृत्यु का दुःख सहा है। मैंने तरह-तरह के भोजन खाए हैं और कई स्तनों का दूध पिया है। 32.
 
I have suffered the pain of repeated births and repeated deaths. I have eaten different kinds of food and drunk the milk from many breasts. 32.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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