श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 12: भगवान‍् श्रीकृष्णका युधिष्ठिरको मनपर विजय करनेके लिये आदेश  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  14.12.15 
तस्मिन्ननिर्जिते युद्धे कामवस्थां गमिष्यसि।
एतज्ज्ञात्वा तु कौन्तेय कृतकृत्यो भविष्यसि॥ १५॥
 
 
अनुवाद
यदि इस युद्ध में तुम अपने मन को परास्त न कर सको, तो कौन जाने तुम्हारी क्या दशा होगी। हे कुन्तीपुत्र! यदि तुम इस बात को भली-भाँति समझ लोगे, तो तुम्हें संतोष हो जाएगा॥15॥
 
If you are unable to defeat your mind in this battle, then who knows what will be your condition. O son of Kunti! You will be satisfied if you understand this well. ॥15॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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