श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 113: भगवान‍् के उपदेशका उपसंहार और द्वारकागमन  »  श्लोक d47
 
 
श्लोक  14.113.d47 
वाजिभि: शैब्यसुग्रीवमेघपुष्पबलाहकै:।
युक्तं तु ध्वजभूतेन पतगेन्द्रेण धीमता॥
 
 
अनुवाद
उस रथ को शैब्य, सुग्रीव, मेघपुष्प और बलाहक नाम के चार घोड़े खींच रहे थे और बुद्धिमान गरुड़ की ध्वजा फहरा रही थी।
 
That chariot was drawn by four horses named Shaibya, Sugreeva, Meghpushpa and Balahak and the flag of the wise Garuda was fluttering.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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