श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 110: सर्वहितकारी धर्मका वर्णन, द्वादशी-व्रतका माहात्म्य तथा युधिष्ठिरके द्वारा भगवान‍्की स्तुति  »  श्लोक d42
 
 
श्लोक  14.110.d42 
कृष्ण प्रिय नमस्तेऽस्तु कृष्ण नाथ नमो नम:।
योगिप्रिय नमस्तेऽस्तु योगिनाथ नमो नम:॥
 
 
अनुवाद
'प्रिय श्रीकृष्ण! मैं आपको नमस्कार करता हूँ। स्वामिन्! श्रीकृष्ण! मैं आपको बारंबार नमस्कार करता हूँ। योगियों के प्रिय! मैं आपको नमस्कार करता हूँ। योगियों के स्वामी! मैं आपको बारंबार नमस्कार करता हूँ।
 
‘Dear Shri Krishna! I salute you. Swamin! Shri Krishna! I salute you again and again. Beloved of the Yogis! I salute you. Lord of the Yogis! I salute you again and again.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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