श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 110: सर्वहितकारी धर्मका वर्णन, द्वादशी-व्रतका माहात्म्य तथा युधिष्ठिरके द्वारा भगवान‍्की स्तुति  »  श्लोक d38
 
 
श्लोक  14.110.d38 
चतुर्मूर्ते चतुर्बाहो चतुर्व्यूह नमो नम:।
लोकात्मँल्लोककृन्नाथ लोकावास नमो नम:॥
 
 
अनुवाद
आपके चार रूप, चार भुजाएँ और चतुर्भुज रूप हैं। मैं आपको बार-बार नमस्कार करता हूँ। आप ब्रह्माण्ड के स्वरूप, लोकों के स्वामी और समस्त लोकों के धाम हैं। मैं आपको बार-बार नमस्कार करता हूँ।
 
‘You have four forms, four arms and four-fold form. I salute you again and again. You are the form of the universe, the lord of the lords of the worlds and the abode of all the worlds. I salute you again and again.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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