श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 110: सर्वहितकारी धर्मका वर्णन, द्वादशी-व्रतका माहात्म्य तथा युधिष्ठिरके द्वारा भगवान‍्की स्तुति  »  श्लोक d16
 
 
श्लोक  14.110.d16 
अहोरात्रेण द्वादश्यां मार्गशीर्षेण केशवम्।
उपोष्य पूजयेद् यो मां सोऽश्वमेधफलं लभेत्॥
 
 
अनुवाद
जो मार्गशीर्ष की द्वादशी को दिन-रात उपवास करता है और 'केशव' नाम से मेरी पूजा करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ करने का फल मिलता है।
 
He who fasts day and night on the Dwadashi of Margashirsha and worships me in the name of 'Keshava' gets the fruit of performing Ashwamedha Yagna.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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