श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 110: सर्वहितकारी धर्मका वर्णन, द्वादशी-व्रतका माहात्म्य तथा युधिष्ठिरके द्वारा भगवान‍्की स्तुति  »  श्लोक d13
 
 
श्लोक  14.110.d13 
पर्वद्वयं च द्वादश्यौ श्रवणं च नराधिप।
मत्पञ्चमीति विख्याता मत्प्रिया च विशेषत:॥
 
 
अनुवाद
नरेश्वर! अमावस्या और पूर्णिमा - ये दो पर्व, दोनों पक्षों की द्वादशी और श्रवण नक्षत्र - ये पाँच तिथियाँ मेरी पंचमी कहलाती हैं। ये मुझे विशेष प्रिय हैं।
 
Nareshwar! Amavasya and Purnima - these two festivals, Dwadashi of both the fortnights and Shravan Nakshatra - these five dates are called my Panchami. These are especially dear to me.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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