श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 11: श्रीकृष्णका युधिष्ठिरको इन्द्रद्वारा शरीरस्थ वृत्रासुरका संहार करनेका इतिहास सुनाकर समझाना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  14.11.20 
इदं धर्म्यं रहस्यं वै शक्रेणोक्तं महर्षिषु।
ऋषिभिश्च मम प्रोक्तं तन्निबोध जनाधिप॥ २०॥
 
 
अनुवाद
जनेश्वर! यह धार्मिक रहस्य इंद्र ने ऋषियों को बताया था और ऋषियों ने मुझे बताया था। मैंने वही रहस्य तुम्हें बताया है। कृपया इसे अच्छी तरह समझ लो।
 
Janeshwar! Indra told this religious secret to the sages and the sages told it to me. I have told you the same secret. Please understand it well.
 
इति श्रीमहाभारते आश्वमेधिके पर्वणि अश्वमेधपर्वणि कृष्णधर्मसंवादे एकादशोऽध्याय:॥ ११॥
इस प्रकार श्रीमहाभारत आश्वमेधिकपर्वके अन्तर्गत अश्वमेधपर्वमें श्रीकृष्ण और धर्मराज युधिष्ठिरका संवादविषयक ग्यारहवाँ अध्याय पूरा हुआ॥ ११॥

 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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