श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 102: कपिला गौका तथा उसके दानका माहात्म्य और कपिला गौके दस भेद  »  श्लोक d30
 
 
श्लोक  14.102.d30 
न क्षुुत्तृष्णाश्रमश्रान्तान् वाहयेद् विकलेन्द्रियान्।
अतृप्तेषु न भुञ्जीयात् पिबेत् पीतेषु चोदकम्॥
 
 
अनुवाद
जब बैल भूख, प्यास और परिश्रम से थक जाएँ और उनकी इन्द्रियाँ व्याकुल हो जाएँ, तब उन्हें गाड़ी में न जोतो। जब तक बैलों को खिलाकर तृप्त न कर दो, तब तक कुछ मत खाओ। उन्हें पानी पिलाने के बाद ही पानी पियो।
 
‘When the bulls are tired due to hunger, thirst and hard work and their senses are nervous, then do not yoke them to the cart. Do not eat until you have fed the bulls and satiated them. Have a drink only after giving water to them.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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