श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 102: कपिला गौका तथा उसके दानका माहात्म्य और कपिला गौके दस भेद  »  श्लोक d29
 
 
श्लोक  14.102.d29 
वाहयेद् हुङ्कृतेनैव शाखया वा सपत्रया।
न दण्डेन न वा यष्टॺा न पाशेन न वा पुन:॥
 
 
अनुवाद
जब बैल गाड़ी में जोते जाएँ, तो उन्हें गरजकर या पत्तेदार टहनी से हाँकें। उन्हें लाठी, डंडा या रस्सी से मारकर न हाँकें।
 
‘When the bulls are yoked to the cart, drive them by making a roar or by using a leafy branch. Do not drive them by hitting them with a stick, rod or rope.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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