श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 10: इन्द्रका गन्धर्वराजको भेजकर मरुत्तको भय दिखाना और संवर्तका मन्त्रबलसे इन्द्रसहित सब देवताओंको बुलाकर मरुत्तका यज्ञ पूर्ण करना  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  14.10.26 
व्यास उवाच
एवमुक्तस्त्वाङ्गिरसेन शक्र:
समादिदेश स्वयमेव देवान्।
सभा: क्रियन्तामावसथाश्च मुख्या:
सहस्रशश्चित्रभूता: समृद्धा:॥ २६॥
 
 
अनुवाद
व्यासजी कहते हैं - राजन् ! संवर्त के ऐसा कहने पर स्वयं इन्द्र ने समस्त देवताओं को आदेश दिया कि 'तुम सब लोग बहुत सुन्दर और रंग-बिरंगे डिज़ाइन वाले हजारों उत्तम सभाभवनों का निर्माण करो ॥'
 
Vyasji says – King! On Samvarta saying this, Indra himself ordered all the gods that 'All of you should build thousands of good assembly halls with very rich and colorful designs.' 26॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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