श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 9: ब्राह्मणको देनेकी प्रतिज्ञा करके न देने तथा उसके धनका अपहरण करनेसे दोषकी प्राप्तिके विषयमें सियार और वानरके संवादका उल्लेख एवं ब्राह्मणोंको दान देनेकी महिमा  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  13.9.16 
भीष्म उवाच
इत्येतद् ब्रुवतो राजन् ब्राह्मणस्य मया श्रुतम्।
कथां कथयत: पुण्यां धर्मज्ञस्य पुरातनीम्॥ १६॥
 
 
अनुवाद
भीष्मजी कहते हैं - राजन ! यह कथा मैंने एक धार्मिक ब्राह्मण के मुख से सुनी है; जो प्राचीन काल की पवित्र कथाएँ सुनाया करते थे ॥16॥
 
Bhishmaji says – King! I have heard this story from the mouth of a religious Brahmin; Who used to narrate sacred stories of ancient times. 16॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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