श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 8: श्रेष्ठ ब्राह्मणोंकी महिमा  »  श्लोक d1
 
 
श्लोक  13.8.d1 
(ब्राह्मणानुज्ञया ग्राह्यं राज्यं च सपुरोहितै:।
तद्रक्षणेन स्वर्गोऽस्य तत्कोपान्नरकोऽक्षय:॥ )
 
 
अनुवाद
राजाओं को अपने पुरोहितों सहित ब्राह्मण की अनुमति से ही राजसिंहासन ग्रहण करना चाहिए। ब्राह्मण की रक्षा करने से ही राजा स्वर्ग प्राप्त करता है और उसे क्रोधित करने से वह अनंत काल तक नरक में पड़ता है।
 
Kings along with their priests should take the throne with the permission of a Brahmin. It is only by protecting a Brahmin that a king attains heaven and by angering him he falls into hell for eternity.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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