श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 8: श्रेष्ठ ब्राह्मणोंकी महिमा  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  13.8.3 
भीष्म उवाच
स्पृहयामि द्विजातिभ्यो येषां ब्रह्म परं धनम्।
येषां स्वप्रत्यय: स्वर्गस्तप: स्वाध्यायसाधनम्॥ ३॥
 
 
अनुवाद
भीष्म ने कहा - युधिष्ठिर! मैं उन ब्राह्मणों को चाहता हूँ जिनके लिए ब्रह्म (वेद) परम धन है, आत्मज्ञान ही स्वर्ग है और वेदों का स्वाध्याय ही सर्वश्रेष्ठ तप है।
 
Bhishma said - Yudhishthira! I want those Brahmins for whom Brahma (Vedas) is the ultimate wealth, self-knowledge is heaven and self-study of Vedas is the best penance.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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