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श्लोक 13.76.1  |
इन्द्र उवाच
जानन् यो गामपहरेद् विक्रीयाच्चार्थकारणात्।
एतद् विज्ञातुमिच्छामि क्व नु तस्य गतिर्भवेत्॥ १॥ |
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अनुवाद |
इन्द्र ने पूछा - "पितामह! यदि कोई जानबूझकर धन के लोभ से किसी दूसरे की गाय का अपहरण करके उसे बेच दे, तो परलोक में उसका क्या होता है? मैं यह जानना चाहता हूँ।" |
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Indra asked - Grandfather! If someone intentionally kidnaps another's cow and sells it for the greed of money, what happens to him in the next world? I want to know this. |
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