श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 74: गौओंके लोक और गोदानविषयक युधिष्ठिर और इन्द्रके प्रश्न  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  13.74.4 
किं त्वस्ति मम संदेहो गवां लोकं प्रति प्रभो।
तत्त्वत: श्रोतुमिच्छामि गोदा यत्र वसन्त्युत॥ ४॥
 
 
अनुवाद
परंतु हे प्रभु! मुझे गोलोक के विषय में कुछ संदेह है; अतः मैं उस लोक का यथार्थ वर्णन सुनना चाहता हूँ, जिसमें गौदान करने वाले मनुष्य निवास करते हैं॥4॥
 
But, O Lord! I have some doubts about Goloka; therefore, I wish to hear the true description of the world in which people who donate cows reside. ॥ 4॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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