श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 74: गौओंके लोक और गोदानविषयक युधिष्ठिर और इन्द्रके प्रश्न  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  13.74.2 
नृगेण च महद्दु:खमनुभूतं महात्मना।
एकापराधादज्ञानात् पितामह महामते॥ २॥
 
 
अनुवाद
महामते पितामह! महात्मा राजा नृग को अनजाने में किये गये एक अपराध के कारण महान दुःख सहना पड़ा था ॥2॥
 
Mahamate Pitamah! Mahatma King Nriga had suffered great sorrow because of a single crime he had committed unknowingly. 2॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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