श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 74: गौओंके लोक और गोदानविषयक युधिष्ठिर और इन्द्रके प्रश्न  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  13.74.1 
युधिष्ठिर उवाच
उक्तं ते गोप्रदानं वै नाचिकेतमृषिं प्रति।
माहात्म्यमपि चैवोक्तमुद्देशेन गवां प्रभो॥ १॥
 
 
अनुवाद
युधिष्ठिर ने पूछा - भगवन् ! आपने गौदान के विषय में ऋषि नचिकेत को दिए गए उपदेश की चर्चा की तथा गौओं के महत्व का भी संक्षेप में वर्णन किया ॥1॥
 
Yudhishthir asked – Lord! You discussed the advice given to sage Nachiket regarding cow donation and also briefly described the importance of cows. 1॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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