श्री महाभारत » पर्व 13: अनुशासन पर्व » अध्याय 7: कर्मोंके फलका वर्णन » श्लोक 3 |
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| | श्लोक 13.7.3  | येन येन शरीरेण यद् यत् कर्म करोति य:।
तेन तेन शरीरेण तत् तत् फलमुपाश्नुते॥ ३॥ | | | अनुवाद | मनुष्य जिस भी शरीर (स्थूल या सूक्ष्म) से जो भी कर्म करता है, वह उसी शरीर से उस कर्म का फल भोगता है ॥3॥ | | Whatever action a man performs with whatever body (gross or subtle), he reaps the fruits of that action with the same body. ॥ 3॥ |
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