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श्लोक 13.57.9  |
न चैवात्राधिगच्छामि सर्वस्यास्य विनिश्चयम्।
एतदिच्छामि कात्स्न्र्येन सत्यं श्रोतुं तपोधन॥ ९॥ |
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अनुवाद |
हे तपधान! इन सब विषयों पर विचार करने पर भी मैं किसी निर्णय पर नहीं पहुँच पा रहा हूँ, इसलिए मैं इन विषयों को पूर्णतः तथा यथार्थ रूप में सुनना चाहता हूँ॥9॥ |
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O Tapadhan! Even after thinking over all these matters I am unable to arrive at any decision, therefore I wish to hear these matters in their complete and true form.॥ 9॥ |
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