श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 57: च्यवनका कुशिकके पूछनेपर उनके घरमें अपने निवासका कारण बताना और उन्हें वरदान देना  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  13.57.33 
य: स देवमनुष्याणां भयमुत्पादयिष्यति।
त्रयाणामेव लोकानां सत्यमेतद् ब्रवीमि ते॥ ३३॥
 
 
अनुवाद
वह तुम्हारा पौत्र अपने तप के बल से देवताओं, मनुष्यों और तीनों लोकों में भय उत्पन्न करेगा। यह सत्य मैं तुमसे कहता हूँ॥33॥
 
That grandson of yours will create fear among the gods, humans and the three worlds by the power of his penance. I am telling you this truth. ॥ 33॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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