श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 57: च्यवनका कुशिकके पूछनेपर उनके घरमें अपने निवासका कारण बताना और उन्हें वरदान देना  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  13.57.31 
भविष्यत्येष ते काम: कुशिकात् कौशिको द्विज:।
तृतीयं पुरुषं तुभ्यं ब्राह्मणत्वं गमिष्यति॥ ३१॥
 
 
अनुवाद
तुम्हारी यह इच्छा अवश्य पूर्ण होगी। कुशिक से कौशिक नामक ब्राह्मण कुल प्रचलित होगा और तुम्हारी तीसरी पीढ़ी ब्राह्मण होगी॥31॥
 
This wish of yours will be fulfilled. From Kushik, a Brahmin clan named Kaushik will be prevalent and your third generation will become Brahmin.॥ 31॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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