|
|
|
श्लोक 13.57.22  |
भोजनं च समानाय्य यत् तदा दीपितं मया।
क्रुद्धॺेथा यदि मात्सर्यादिति तन्मर्षितं च मे॥ २२॥ |
|
|
अनुवाद |
इसके बाद जब मैंने भोजन मँगवाया और उसे जला दिया, तो उसके पीछे छिपा हुआ उद्देश्य यह था कि तुम ईर्ष्यावश मुझ पर क्रोधित हो जाओगी; परन्तु तुमने मेरे उस व्यवहार को भी सहन कर लिया॥ 22॥ |
|
After this, when I ordered food and burnt it, the hidden motive behind it was that you would get angry with me out of jealousy; but you tolerated that behaviour of mine as well.॥ 22॥ |
|
✨ ai-generated |
|
|