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श्लोक 13.57.16  |
एवं बुद्धिं समास्थाय दिवसानेकविंशतिम्।
सुप्तोऽस्मि यदि मां कश्चिद् बोधयेदिति पार्थिव॥ १६॥ |
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अनुवाद |
ऐसा विचार करके मैं इक्कीस दिन तक एक करवट सोता रहा, इस आशा से कि कोई मुझे जगा देगा॥16॥ |
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With this thought in mind, I slept on one side for twenty-one days, hoping that someone would wake me up.॥ 16॥ |
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