श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 57: च्यवनका कुशिकके पूछनेपर उनके घरमें अपने निवासका कारण बताना और उन्हें वरदान देना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  13.57.10 
च्यवन उवाच
शृणु सर्वमशेषेण यदिदं येन हेतुना।
न हि शक्यमनाख्यातुमेवं पृष्टेन पार्थिव॥ १०॥
 
 
अनुवाद
च्यवन बोले, "खुपाल! मैंने यह सब क्यों किया, इसका पूरा वृत्तांत सुनो। चूँकि तुमने मुझसे इस प्रकार पूछा है, इसलिए मैं तुम्हें यह रहस्य बताने से अपने को नहीं रोक सकता।"
 
Chyavana said, "Khupal! Listen to the full story of the reason why I did all this. Since you have asked me like this, I cannot stop myself from telling you this secret."
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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