श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 57: च्यवनका कुशिकके पूछनेपर उनके घरमें अपने निवासका कारण बताना और उन्हें वरदान देना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  13.57.1 
च्यवन उवाच
वरश्च गृह्यतां मत्तो यश्च ते संशयो हृदि।
तं प्रब्रूहि नरश्रेष्ठ सर्वं सम्पादयामि ते॥ १॥
 
 
अनुवाद
च्यवन बोले, 'हे नरश्रेष्ठ! मुझसे वर मांगो और तुम्हारे मन में जो भी शंकाएं हों, उन्हें भी मुझसे कहो। मैं तुम्हारे सभी कार्य पूर्ण करूंगा।'
 
Chyavan said, 'O best of men! Ask for a boon from me and also tell me whatever doubts you have in your mind. I will fulfill all your tasks.'
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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