श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 51: नाना प्रकारके पुत्रोंका वर्णन  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  13.51.9 
चाण्डालो व्रात्यवैद्यौ च ब्राह्मण्यां क्षत्रियासु च।
वैश्यायां चैव शूद्रस्य लक्ष्यन्तेऽपसदास्त्रय:॥ ९॥
 
 
अनुवाद
शूद्रों द्वारा ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य वर्णों की स्त्रियों के गर्भ से जो पुत्र उत्पन्न होते हैं, वे क्रमशः चाण्डाल, व्रात्य और वैद्य कहलाते हैं। ये तीन प्रकार के अप्सद हैं। 9॥
 
The sons who are born by Shudras from the wombs of Brahmin, Kshatriya and Vaishya women of these varnas are called Chandal, Vratya and Vaidya respectively. These are the three types of Apsads. 9॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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