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श्लोक 13.51.6  |
युधिष्ठिर उवाच
षडपध्वंसजा: के स्यु: के वाप्यपसदास्तथा।
एतत् सर्वं यथातत्त्वं व्याख्यातुं मे त्वमर्हसि॥ ६॥ |
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अनुवाद |
युधिष्ठिर ने पूछा - पितामह! अपध्वंसज पुत्रों के छह प्रकार कौन-कौन से हैं और अपसद् किसे कहते हैं? कृपया मुझे यह सब विस्तारपूर्वक बताइये। |
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Yudhishthira asked - Grandfather! What are the six types of Apadhwansaj sons and who are called Apasad? Please tell me all this in detail. |
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