श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 51: नाना प्रकारके पुत्रोंका वर्णन  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  13.51.5 
षडपध्वंसजाश्चापि कानीनापसदास्तथा।
इत्येते वै समाख्यातास्तान् विजानीहि भारत॥ ५॥
 
 
अनुवाद
आठवाँ पुत्र 'कानिन' है। इनके अतिरिक्त छः अपध्वंसज (अनुलोम) पुत्र और छः अपसद (प्रतिलोम) पुत्र हैं। इस प्रकार इनकी संख्या बीस हो जाती है। भारत! इस प्रकार के पुत्र बताए गए हैं। तुम्हें इन सभी को पुत्र समझना चाहिए। 5.
 
The eighth son is 'Kanin'. Apart from these, there are six 'Apadhvansaj' (Anulom) sons and six 'Apasad' (Pratilom) sons. In this way, their number becomes twenty. Bharat! In this way, these types of sons have been told. You should consider all of them as sons. 5.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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