श्री महाभारत » पर्व 13: अनुशासन पर्व » अध्याय 51: नाना प्रकारके पुत्रोंका वर्णन » श्लोक 21 |
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| | श्लोक 13.51.21  | अस्वामिकस्य स्वामित्वं यस्मिन् सम्प्रति लक्ष्यते।
यो वर्ण: पोषयेत् तं च तद्वर्णस्तस्य जायते॥ २१॥ | | | अनुवाद | वर्तमान में जो अनाथ बालक का स्वामी देखा जाता है और उसका पालन-पोषण करता है, उसकी जाति ही उस बालक की भी जाति हो जाती है ॥21॥ | | At present, the one who is seen as the master of the orphan child and takes care of him, his caste becomes the caste of that child also. ॥ 21॥ |
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