श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 51: नाना प्रकारके पुत्रोंका वर्णन  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  13.51.19 
युधिष्ठिर उवाच
कीदृश: कृतक: पुत्र: संग्रहादेव लक्ष्यते।
शुक्रं क्षेत्रं प्रमाणं वा यत्र लक्ष्यं न भारत॥ १९॥
 
 
अनुवाद
युधिष्ठिर ने पूछा - हे भारत! जहाँ वीर्य या रज को पुत्रत्व का प्रमाण नहीं माना जाता, जो केवल संग्रह करने से ही अपना पुत्र जान पड़ता है, वह कैसा कृत्रिम पुत्र है?
 
Yudhishthir asked – India! Where semen or semen is not seen as proof of sonship, the one who is seen as one's son just by collecting it, what kind of artificial son is that? 19॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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