श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 51: नाना प्रकारके पुत्रोंका वर्णन  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  13.51.15 
भीष्म उवाच
आत्मजं पुत्रमुत्पाद्य यस्त्यजेत् कारणान्तरे।
न तत्र कारणं रेत: स क्षेत्रस्वामिनो भवेत्॥ १५॥
 
 
अनुवाद
भीष्म बोले, "बेटा! जो लोग अपने वीर्य से पुत्र उत्पन्न करते हैं और फिर अनेक कारणों से उसे त्याग देते हैं, उनका वीर्य निर्माण हो जाने मात्र से उस पर कोई अधिकार नहीं रह जाता। वह पुत्र उस क्षेत्र का स्वामी हो जाता है॥ 15॥
 
Bhishma said, "Son! Those who produce a son from their semen and then abandon it due to various reasons, they no longer have any right over it just because of the semen formation. That son becomes the owner of that area.॥ 15॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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